बच्‍चों का खेल नहीं है दूध के दांतों की देखरेख

बच्‍चों का खेल नहीं है दूध के दांतों की देखरेख

डॉ आशु गुप्‍ता

शिशुओं के स्‍वस्‍थ दूध के दांत आगे चलकर बच्‍चे की स्‍वस्‍थ खानपान आदतों और चबाने के तरीकों पर असर डालते हैं। यदि उनकी देखरेख न की जाए तो आगे चलकर बच्‍चों को मसूड़े से खून आने, दुर्गंध युक्‍त सांस, खाना निगलने के गलत तरीकों और जीभ चुभलाने जैसी आदतों से गुजरना पड़ सकता है और ये सभी बाद में सही डेंचर और चेहरे के विकास पर असर डालते हैं।

दांतों की सड़न के कारण दूध के दांत जल्‍दी निकल जाते हैं जिससे उनकी खाली जगह पर दूसरे दूध के दांत ज्‍यादा जगह ले लेते हैं, जिससे स्‍थायी दांत के लिए जगह कम पड़ जाती है और इससे स्‍थायी दांत भी सही जगह पर नहीं आ पाते। इसके अलावा बच्‍चे के सामने के दांत कुछ अक्षरों जैसे थ, फ आदि के उच्‍चारण के लिए अत्‍यन्‍त महत्‍वपूर्ण होते हैं। संक्रमित दूध के दांत नीचे के स्‍थायी दूध के दांतों में भी संक्रमण फैला सकते हैं।

बच्‍चों के दांतों की देखभाल कब से शुरू की जानी चाहिए ?

शिशु के जन्‍म के बाद से ही ओरल केयर शुरू कर दी जाहिए। हर बार दूध पिलाने के बाद मसूडों को एक गीले कॉटन स्‍वैब से साफ किया जाना चाहिए।

जिस समय से बच्‍चे का पहला दूध का दांत निकलता है तभी से माता-पिता को कम से कम एक बार उसे ब्रश (कोमल ब्रिसल वाला) कराना चाहिए।

2 वर्ष की आयु में बच्‍चे को अपनी निगरानी में टूथब्रश पकड़ कर स्‍वयं दांत साफ करना सिखाना शुरू करना चाहिए।

4 वर्ष की आयु में बच्‍चे स्‍वयं ब्रश करने में सक्षम हो जाते हैं। इस समय माता-पिता को उन्‍हें दिन में दो बार दांतों को ब्रश करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

8 वर्ष की आयु में डेंटल फ्लास का उपयोग करें और बच्‍चों को सही टूथब्रश चुनना सिखाएं।

बच्‍चों को दांतों के डाक्‍टर के पास कब ले जाएं ?

आदर्श रूप से बच्‍चे को उसके पहले जन्‍मदिन तक एक बार डेंटिस्‍ट के पास ले जाना चाहिए। डेंटिस्‍ट के पास जल्‍दी लेकर जाने का एक कारण यह है कि इससे बच्‍चा जीवन भर के लिए दांतों की देखरेख करने की अच्‍छी आदत सीख लेगा। इसके बाद लगभग 6-8 महीनों में बच्‍चे को दांतों के डॉक्‍टर को दिखाते रहें। रोकथाम के उपायों के तौर पर फ्लेराईड थेरेपी अथवा पिट और फिशर सीलैंट्स के जरिए दांतों की सड़न का उपचार करने की डेंटिस्‍ट की सलाह को नज़रअंदाज न करें।

क्‍या शिशुओं के दांतों में कैविटी हो सकती है ?

जी, हां जैसे ही बच्‍चे का पहला दूध का दांत निकलता उसी समय से सड़न की संभावना भी जन्‍म लेती है। जूस, औषधीय सिरप और दूध के फार्मूलों में डलने वाली चीनी कैविटी पैदा कर सकती है जिससे दांतों में दर्द के अलावा दांत निकलवाना भी पड़ सकता है।

पीडियाट्रिक डेंटिस्‍ट किस प्रकार बच्‍चों के दांतों की सुरक्षा कर सकते हैं ?

पिट और फिशर सीलैंट्स के जरिए दांतों की सड़न का उपचार बच्‍चे के दांतों को सड़न से सुरक्षित रखा जा सकता है।

फ्लूराईड लगाने से दांतों की संरचना मजबूत बनती है और कैविटी नहीं होती।

बच्‍चों में गलत जगह पर आए दांतों के शुरूआती उपचार से बाद में मंहगे ऑर्थोडेंटिक उपचार (ब्रेसेस और वायर) से बचा जा सकता है।

इससे माता-पिता को बच्‍चों की अंगूठा चूसने, जीभ ऊपर लगाने, दांत भींचने और दांत पीसने की आदत से छुटकारा भी पा सकते हैं।

सामान्‍य डेंटल हेल्‍थ टिप्‍स

बच्‍चों को मीठा और स्‍टार्च युक्‍त स्‍नैक्‍स न दें और स्‍नैक्‍स के लिए नियमित समय तय करें। इसके अलावा खाने में मिनरलों और विटामिनों की मात्रा ज्‍यादा रखें।

हर 3-4 महीने में ब्रश बदलें। प्रत्‍येक आहार के बाद ब्रश करें, विशेष रूप से सोने के समय से पहले। डेंटिस्‍ट के पास नियमित रूप से जाएं।  

(डॉक्‍टर से संपर्क: 28-29, पहला तल, डीडीए मार्केट, सेक्‍टर 17, द्वारका, नई दिल्‍ली)

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